Apr 30, 2024
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Generation of Computer– कंप्यूटर की पीढ़ी
मनुष्य के जैसा कंप्यूटर का भी अपना पीढ़ी होता है। सन् 1940 से कंप्यूटर का journey शुरू होता है। सन् 1940 में Vacuum Tubes का आविष्कार हुआ था। इसी प्रकार computer के क्षेत्र में हमेशा नया नया टेक्नोलॉजी का अविष्कार किया गया। अभी तक कंप्यूटर को कुल पाँच पीढ़ी में वर्गीकृत किया गया है।
कम्प्युटर की पहली पीढ़ी:- 1940-1956

प्रथम
इलेक्ट्रॉनिक 'कम्प्यूटर 1946 में अस्तित्व
में आया था
तथा उसका नाम इलैक्ट्रॉनिक न्यूमेरिकल इन्टीग्रेटर एन्ड कैलकुलेटर (ENIAC) था। इसका
आविष्कार J. P. Eckert तथा J . W . Mauchly ने किया
था। इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल को
नियंत्रित तथा प्रसारित
करने हेतु वैक्यूम ट्यूब्स का
उपयोग किया गया।
इसमें भारी भरकम
कम्प्यूटर का निर्माण
हुआ किन्तु सबसे
पहले उन्हीं के
द्वारा कम्प्यूटर की परिकल्पना
साकार हुई। ये
ट्यूब्स के आकार
में बड़े तथा
ज्यादा गर्मी उत्पन्न
करते थे अतः
इसकी गणना करने
की क्षमता भी
काफी कम थी।
अतः प्रथम जनरेशन
के कम्प्यूटर ज्यादा स्थान
घेरते थे तथा
ज्यादा गर्मी उत्पन्न
करते थे। इसमें
मशीनी भाषा ( 0 , 1 ) का प्रयोग
किया गया ।
इन कंप्यूटर की कीमत
बहुत अधिक होने
के कारण ये
कंप्यूटर आम जनता
की पहुँच से
दूर थे।
प्रथम
पीढ़ी के कम्प्यूटरों की निम्नलिखित विशेषताएँ थीं-
1. यह
आकार में सबसे
बड़े कम्प्यूटर थे। इनकी
डाटा प्रोसेसिंग की गति
बहुत कम थी।
2. इन
कम्प्यूटरों में मुख्य
रूप से वैक्यूम
ट्यूब ( Vaccum Tube
) नामक इलैक्ट्रॉनिक पुर्जे का
प्रयोग होता था।
3. डाटा
संचित करने के
लिए इनमें पंचकार्ड
का प्रयोग होता
था।
कम्प्युटर
की
दूसरी
पीढ़ी
: Transistors ( ट्रांजिस्ट्रर्स ) (1956-1964)
:-

Second Generation of Computer में ट्रॉजिस्टर का
आविष्कार हुआ। इस
दौरान के कम्प्यूटरों में ट्रान्जिस्टरों का एक
साथ प्रयोग किया
जाने लगा था,
जो वाल्व्स की अपेक्षा
अधिक सक्षम एवं
सस्ते होते थे। ट्रांजिस्टर का आकार Vacuum Tubes की
तुलना में बहुत
छोटा होता है।
जिससे कम्प्यूटर छोटे तथा
उनकी गणना करने
की क्षमता अधिक
तथा तीव्र थी
और इनका आकार
अधिक छोटा तथा
कम गर्मी उत्सर्जित
करने वाले था।
इस पीढी में उच्च स्तरीय COBOL और FORTRAN एसेम्बली (Assembly Language) के द्वारा प्रोग्रामिंग की जाने
लगी। William Shockley तथा उनके
सहयोगी वैज्ञानिकों द्वारा अमेरिका
की बेल प्रयोगशाला (Bell Laboratories) में ट्रांजिस्टर (Transistor) नामक एक
अन्य इलैक्ट्रॉनिक पुर्जे का
आविष्कार किया गया
था। इसकी कार्य
क्षमता Vaccum Tube से
कहीं अधिक थी।
इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित थीं –
1.
इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों में वैक्यूम ट्यूब के स्थान पर ट्रांजिस्टर का प्रयोग किया गया था।
2.
इस पीढी के कम्प्यूटरों की प्रोसेसिंग की गति प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर की तुलना में काफी अधिक थी।
3.
इनमें डाटा स्टोर करने के लिए चुम्बकीय टेप ( Magnetic Tape ) का प्रयोग किया जाता था।
4.
इसमें कार्य करने के लिए असेम्बली भाषा का प्रयोग होता था, जो कि मशीन भाषा की तुलना में काफी आसान थी।
5.
इस पीढी में निर्मित कम्प्यूटरों में मुख्यत : UNIVAC, IBM 700 तथा ATLAS आदि थे।
कम्प्युटर
की
तीसरी
पीढ़ी:
Integrated Circuit (इंटिग्रेटेड सर्किट) ( 1965
- 1970 )

कम्प्यूटर के आकार को और छोटा करने हेतु प्रयास किये जाते रहे जिसके परिणाम स्वरूप सिलकोन चिप पर इन्टीग्रेटेड सर्किट (I. C. S) निर्माण होने से कम्प्यूटर में इनका उपयोग किया जाने लगा। जिसके फलस्वरूप कम्प्यूटर अब तक के सबसे छोटे आकार का उत्पादन करना संभव हो सका। इनकी गति माइक्रो सेकेण्ड से नैनो सेकेण्ड तक थी। इस पीढी FORTRAN-II TO IV, COBOL, PASCAL PL / l, BASIC, ALGOL- 68 जैसी उच्चस्तरीय भाषाओं का विकास हुआ।
तृतीय पीढ़ी में कम्प्यूटर
के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन
आया जब वैज्ञानिकों
ने सैंकड़ों ट्रांजिस्टरों को मिलाकर एक अधिक शक्तिशाली
इलेक्ट्रॉनिक
पुर्जे इन्टीग्रेटेड सर्किट (Integrated Circut) का आविष्कार
किया। इसे तृतीय पीढ़ी के कम्प्यूटरों
में मुख्य कम्पोनेन्ट
(Compnent ) के रूप में प्रयोग किया गया।
इस पीढी के कम्प्यूटरों की मुख्य विशेषताएँ
निम्नलिखित
हैं :-
1.
इन कम्प्यूटरों
में ट्रांजिस्टर के स्थान पर IC का प्रयोग किया गया जो कि ट्रांजिस्टर
से अधिक शक्तिशाली
था।
2.
IC का आकार ट्रांजिस्टरों के सर्किट (Circuit)
के आकार से छोटा होने के कारण इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों
का आकार भी काफी छोटा था।
3.
इन कम्प्यूटरों
में विद्युत सर्किट्स
का आकार छोटा होने के कारण इनके प्रोसेसिंग की गति अधिक थी।
4.
तृतीय पीढ़ी के कम्प्यूटरों
में कार्य करने के लिए उच्च स्तरीय भाषा (High
Level Language) का प्रयोग किया गया। प्रथम उच्च स्तरीय भाषा का नाम फोरट्रान
(FORTRAN) था।
5.
इस पीढ़ी में निर्मित कम्प्यूटरों में मुख्यत : थे - PDP श्रृंखला
के कम्प्यूटर तथा CDC - 1700 आदि।
कम्प्युटर
की
चौथी
पीढ़ी
: Microprocessors ( माइक्रोप्रोसेसर) ( 1971
- 1994 )

चौथी पीढ़ी के कम्प्यूटरों में माइक्रोप्रोसेसर का प्रयोग किया गया। VLSI ( Very Large Scale Integrated) Circuits की प्राप्ति
से एकल चिप पर लगभग 5000 ट्रांजिस्टर और अन्य सर्किट तत्वों को लगाया जा सकता था। इस कारण चौथी पीढ़ी के कम्प्यूटर
बहुत अधिक शक्तिशाली
बन गये। इसमें Desktop Computer और Personal Computer
(PC) क्रांति का जन्म हुआ। इस पीढ़ी में समय साझा करने में, वास्तविक समय, नेटवर्क, वितरित ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल
किया गया। C and C + +, DBASE आदि जैसे सभी उच्च स्तरीय भाषाओं का इस्तेमाल
किया गया।
इस पीढी के कुछ कम्प्यूटर थे-
PDEC 10> STAR 1000 >PDP
11 PCRAY - 1 ( Super Computer ) } CRAY - X - MP ( Super Computer )
इस पीढी के कम्प्यूटरों की मुख्य विशेषताएँ
निम्नलिखित
हैं :-
1.
छोटे - छोटे सर्किट्स के प्रयोग के कारण इनका आकार काफी कम था। इस पीढी के कम्प्यूटर
लगभग पोर्टेबल कम्प्यूटरों
की श्रेणी में आते थे। डेस्क टॉप कम्प्यूटर, नोट बुक कम्प्यूटर,
पाम टॉप (Palm
Top) कम्प्यूटर
आदि इसी पीढ़ी के कम्प्यूटरों
के उदाहरण है।
2.
इस पीढी के कम्यूटरों
की प्रोसेसिंग की गति पिछली तीनों पीढ़ियों से काफी तेज थी।
3.
ऊष्मा सहन करने की क्षमता काफी अधिक होने के कारण यह वातानुकूल संयत्र के बिना भी कार्य करने में सक्षम थे।
4.
इन कम्प्यूटरों की कम कीमत होने कारण इनका उपयोग भी व्यापकता में होता था।
5.
इनका एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानान्तरण, कम भार का होने के कारण आसान था।
कम्प्युटर
की पाँचवी पीढ़ी
: आर्टिफिशिएल इंटेलिजेन्स
( 1995- upto )

विकास की इस पाँचवी अवस्था में कम्प्यूटरों में कृत्रिम बुद्धि का निवेश किया गया। इस पीढ़ी में ULSI (Ultra Large Scale Integration) प्रौद्योगिकी का प्रयोग किया गया जिसके परिणामस्वरूप इस माईक्रोप्रोसेसर Chip पर 10 Million इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का प्रयोग किया गया। इस पीढ़ी के समानांतर संस्करण हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर पर आधारित है। C and C + +, Java, VB, . net framework आदि जैसे सभी उच्च स्तरीय भाषाओं का इस्तेमाल किया गया। इस पीढ़ी के कुछ कम्प्यूटर है
> डेस्कटॉप > लैपटॉप > नोटबुक > UltraBook
इस पीढी के कम्प्यूटरों की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं :-
1.
इन कम्प्युटरों में VLSIC व ULSIC तकनीक का प्रयोग किया गया है।
2.
इन कम्प्यूटरों में कत्रिम दिमाग ( Artificial Intelligence : AI ) उपस्थित है, जिसके कारण इनमें निर्णय लेने की क्षमता है।
3.
इस पीढ़ी के कम्प्यूटर दो या तीन वस्तुओं में तुलना करने तथा उपर्युक्त वस्तु का चुनाव करने में सक्षम इनकी प्रोसेसिंग की गति काफी अधिक है। ये कम्प्यूटर अरबों गणनाएँ एक सैकण्ड में करते हैं ।
4.
इस पीढी के कम्प्यूटरों में मुख्य रूप से भारत में ही निर्मित कम्प्यूटर परम ( PARAM
) शामिल है।